उम्र के 28 वे पायदान पर 1995 में डियर पार्क (
R.K.PURAM ) दिल्ली
में लिखी इक ग़ज़ल As It Is
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पहले एक शेर ....
चकोर की याद में है उदास चाँद भी !
मुफ़लिसी में फॅसा आज का इंसां भी !!
रक़ीबों की सोहबत का ये सिला है मिला !
थामे से थमा नहीं दौर -ऐ-तूफ़ान भी !!
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परिन्दे की परवाज़ का आग़ाज़ भी अंज़ाम भी !
असीरी में सय्याद के जान भी जहान भी !!
बाग़-ओ-ग़ुल के ख्वाब में दिल भी ईमान भी !
गिरफ्त में ज़ंज़ीरों की हसरत -ए-परवान भी
!!
बाँजुओं में था कभी फ़लक भी उन्वान भी !
मुश्क़िलों में फँसी जान भी पहचान भी !!
रिहाई का तक़ाज़ा है दुश्वार भी आसां भी !
क़दम बा क़दम मिले राह भी बियावाँ भी !!
सीमतन के हाथों में तीर भी कमान भी !
क़त्ल करने को मुझे हुक्म भी फ़र्मान भी !!
सरकशी का सरंजाम सुब्हो भी शाम भी !
कल्म कर दो मेरा इल्म भी जुबान भी !!
रोता है ऐयारी पे अर्श भी असमान भी !
सलाख़ों में दफ्न है तन्हा-ऐ-एहसान भी !!
- " तन्हा " चारू !!
25-02-1995
सर्वाधिकार
सुरक्षित ©
अम्बुज कुमार खरे " तन्हा " चारू !!