ख़ुदा खैर !
मेरा 21 -01 -1998 को लिखा आखरी कलाम फिर " आख़री पयाम " ना बन जाये !!
हूँ इन्सान कोई नुमाइश नहीं हूँ मैं !!
पढ़ लो किसी गज़ल के मानिन्द मुझे !
दोहराऊँ जिसे वो फरमाईश नहीं हूँ मैं !!
फक्र से रहे अपना क्यों न सर ऊँचा !
शर्म- ओ- ग़ैरत का बाइस नहीं हूँ मैं !!
रहो दूर तपिश- ए -ख्यालों से मेरे !
हूँ मुहाज़िर कोई मुहाफ़िज़ नहीं हूँ मैं !!
लबरेज़ हो आँख क्यों न करे मातम !
कोई रहज़न ओ रवाफिज़ नहीं हूँ मैं !!
बख्शी है हयात मुझे रूह -ए -रवाँ ने !
आदम-ए-सानी की पैदाइश नहीं हूँ मैं !!
हूँ दिल मादरे-वतन बा-तजल्ली ओ नूर !
फ़रेब-ओ-रिया की आजमाईश नहीं हूँ मैं !!
हूँ जहान-ए-फानी में इक ज़िश्त " तन्हा "!
मोहत्सिब्-ओ-शैख़-ओ-वाइज नहीं हूँ मैं !!
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" तन्हा " चारू !!
21-01-1998
सर्वाधिकार
सुरक्षित ©
अम्बुज कुमार खरे " तन्हा " चारू !!
ख्व़ाहिश = लालसा, इच्छा,
अनुनय, विनय, मांग
फ़र्माइश= वस्तुआें की मांग, प्रयोजन, आनन्द, इच्छा
बाइस
= कारण ,सबब
तपिश
= गर्मी ,जलन ,बेक़रारी ,व्याकुलता
मुहाज़िर = शरणार्थी
मुहाफ़िज़ = अभिभावक ,रक्षक ,सरपरस्त
लबरेज़
= भरा हुआ , परिपूर्ण
रहज़न
= लुटेरा
रवाफिज़
= भगोड़ा ,समय पड़ने पर साथ छोड़ने वाला
हयात
= जीवन
रूह-ए -रवाँ = प्राण वायु , खून में हवा के कण
आदम-ए-सानी = हज़रत नूह ; मान्यता है की कुफ्र के बाद इंसान की नस्ल इनसे चली थी
पैदाइश = जन्म ,उपज़
मादरे-वतन = मातृभूमि , वतन
बा-तजल्ली = गरिमा मान ,तेजस्वान
नूर
= आभा वान ,प्रकाश मय
फ़रेब
= छल ,कपट ,धोखा
रिया
= आडम्बर , दिखावा
आज़माईश = प्रयत्न,
प्रयोग, जाँच, सिद्ध करना
जहान-ए-फानी = नश्वर संसार ,मृत्युलोक
ज़िश्त
= बुरा , ख़राब
मोहत्सिब् = शराब पीने से रोकने वाला , हिसाब-किताब रखने वाला
शैख़
= बूढ़ा ,बुजुर्ग ,श्रेष्ठ ,नायक
वाइज
= धर्म उपदेशक
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