"तन्हा" दिल पर लगे हुये इल्ज़ाम पुराने
याद आये !
ज़िक्र हुआ अफ़सानो का कई नाम पुराने याद आये
!!
ये वीरानगी ये तन्हाइयाँ ये साहिल का मन्जर
कैसा !
"तन्हा" मुझे बताने वाले इल्हाम पुराने
याद आये !!
न दिखा मुझे यूँ चाक -गिरेबा ओ ज़िग़र अपना
!
देख के ये ज़ख्म तेरे एहसान पुराने याद आये
!!
झूठी कसमें खाना तेरा वो मुझसे आँख चुराना
तेरा !
ना मिलने के तेरे वो पैग़ाम पुराने याद आये
!!
राह -गुज़र पे देख तुझे बना हम-सफ़र अपना !
"तन्हा"मिलना याद आया वो बाम पुराने याद
आये !!
-" तन्हा " चारू !!
Feb. 1995
सर्वाधिकार
सुरक्षित ©
अम्बुज कुमार खरे " तन्हा " चारू !!
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