मेरे हाल-ए-दिल से पहले उन तक मेरे गम गये !
गये कहने रक़ीब पहले और फ़िर हमदम गये !!
मेरे रश्क-ए-ज़ाना के एहसानों में इक एहसान
!
गये तीर-ओ-ख़ंजर पहले और फ़िर मरहम गये !!
मेरे दिल की पशेमानी , उन पेशानी पर वो बल !
गये रख वो लब-बः-लब मगर कुछ बरहम गये !!
मेरी रूसवाईयों का सबब जो पूछा बज़्म के रु-ब-रु
!
मेरे कुछ कहने से पहले सबके दिल भी थम गये
!!
मेरे दीद ओ दानिस्त में रक़ीब था पासबाँ नेरा
!
साथ उसके क़त्ल को ख़ुद बराह-ऐ-करम गये !!
मेरे जुनूं की थी इंतहा एक और दीदार के वास्ते
!
गये दफ्न से पहले वो और फिर मेरे दम गये
!!
उसके सितम-ओ-जफ़ा के नहीं मानिन्द कोई
"तन्हा"!
गो'या रंग-आमेज़ी से पहले निकाले पेंच-ओ-ख़म गये !!
" तन्हा " चारू !!
09-04-1995
सर्वाधिकार
सुरक्षित ©
अम्बुज कुमार खरे " तन्हा " चारू !!
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