चित्रकार - श्री मुकेश चन्द्र पाण्डेय जी का आभार !
दिल बहुत उदास
है दास्तान सुनाऊँ
किसको !
हर सफ़र में
हूँ "तन्हा" हमसफ़र बनाऊँ किसको
!!
न था चलना
इतना मुश्किल
किसी सफ़र
में
!
जब चल दिये
सफ़र पे
ख़ार दिखाऊँ
किसको
!!
वो करम और
ये सितम
मुझ पर !
क्या कहूँ किससे
और बताऊँ
किसको !!
न रूठे तुम
न बोले
मेरी नादानी
पर !
झूठी क़सम दे
अब मनाऊँ
किसको !!
गिर के उठना
और कभी
उठ के
गिरना !
इन शब्दों का
अर्थ अब
समझाऊँ किसको
!!
तुम भी गर
हो न
सके मेरे
अपने
!
तो इस जहान
में अपना
बनाऊँ किसको
!!
गुज़र ही गया
"तन्हा" इस जहाँ
से तन्हा
!
दे ये ख़बर
जहाँ में
अब रुलाऊँ
किसकों
!!
- " तन्हा " चारू
!!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
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