छोड़ के साथ
मेरा अभी
साये नहीं
जाते
!
जख्म दिल पे
और अब
खाये नहीं
जाते !!
कहते हैं अपने
दिल पर
लगी हुई !
भूले हुये और
अब भुलाये
नहीं जाते
!!
बारहां है रूठे
वो ओ
है बारहां
मनाया
!
अबकी रूठे ऐसे
कि मनाये
नहीं जाते
!!
चाहिये गर तुम्हे
ले लो
ये दिल
मेरा
!
जान कसम जाँ यूँ
सताये नहीं
जाते !!
जेरे-लब रहती
है इक
हँसी उसके !
बिन बात मगर
मुस्कराये नहीं जाते !!
रख लिहाज़ कुछ
मरीज -ए
-इश्क़ का !
ख़त दिखा के
उसके छिपाये
नहीं जाते
!!
रहने दो पड़ा
यूँ ही
सहन् में
अपने
!
ख़त आशिक़ों के
कभी जलाये
नहीं जाते
!!
उम्मीद तो रखता
हूँ कि
होंगे बाख़बर !
वादे मगर उनसे
निभाये नहीं
जाते
!!
उलट न दे नक़ाब कहीं
वो इताब
में
!
यूँ ही हम
उनसे घबराये
नहीं जाते !!
ख़ुदा ख़ैर !आते
है बज्म
में बेनक़ाब
वो !
परदे भी अब
हमसे गिराये
नहीं जाते !!
लाते तो हैं
ग़ुल चुन
कर चमन
से
!
लर्जिश-ए-दस्त
से वो
चढ़ाये नहीं
जाते!!
छलक आता है
नूर यूँ
ही कभी-कभार !
तंज़ मगर चेहरे
पे लाये
नहीं जाते !!
कहता तो हूँ
ग़ज़ल अपने
अन्दाज़ की
!
जुल्म मगर उनके
गिनाये नहीं
जाते !!
हैं कलाम अच्छे
हैं अशआर
अच्छे
!
ये शेर मगर
साज़ पे
गाये नहीं
जाते !!
जायेंगे इक रोज़
हम भी
महफ़िल में
!
अभी लिहाज़ में
हम बुलाये
नहीं जाते
!!
किस मुँह से
जाऊँगा दैर
-ओ -हरम
में !
कहते है वहाँ
गैर-ओ-पराये नहीं
जाते
!!
बेख़ुदी में करते
हो कैसी
ख़ुदी की
बाते
!
ख़ुदा क़सम !ख़ुदा
यूँ बहलाये
नहीं जाते
!!
जाते हैं बेख़बर
सहर-ए
-बुताँ में
मगर
!
सनद हो !"तन्हा"बिन बुलाये
नहीं जाते
!!
-"तन्हा"चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
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