कल रात मेरे
आँगन में
; कुछ सूखे
फूल मिले
!
एक "तन्हा" चाँद
मिला ;किस्से
नामालूम मिले
!!
बर्फ़ सी चादर
फैली थी
; दूर सूखे
बरगद पर !
सपना सिर्फ एक
मिला ; जाने
कितने शूल
मिले !!
अंधियारी काली घटायें
; छा रहीं
थी अंबर
पर !
हादसा तो सिर्फ
एक हुआ
सपने सारे
धूल मिले
!!
परत दर परत
खोला ; एक
कागज़ मैला
सा
!
तेरी मेरी ज़ुदाई
के फिर
सबब माक़ूल
मिले
!!
-
" तन्हा " चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
No comments:
Post a Comment