कुछ कहना था
लेकिन तुमसे
; इज़हार अभी
तक बाकी
है !
तुम तार हिला
कर चले
गये ; झन्कार
अभी तक
बाकी है
!!
आँखों ने जो
देखा था
,दर्द - ए
- समन्दर आँखों
में !
कब टूटेंगे बांध
तुम्हारे ; इन्तज़ार
अभी तक
बाकी है
!!
इक रिश्ता है
दरमियाँ अपने
;इक बन्धन
है साँसों
का !
इक दर्पण है
अब तू
मेरा
; इक़रार अभी तक बाकी
है !!
मन के पागल
पंछी को
; कैसे समझाऊँ
मीत मेरे !
तुम सर झुका
के चले
गये ; इन्कार
अभी तक
बाकी है
!!
मानी हर गुज़ारिश
तेरी
, अपनी जाँ पर खेल कर !
" तन्हा " न तुम
आना कभी
;इसरार अभी
तक बाकी
है !!
-
" तन्हा "
चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
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