Tuesday 19 November 2013

कुछ कहना था लेकिन तुमसे ; इज़हार अभी तक बाकी है !



कुछ कहना था लेकिन तुमसे ; इज़हार अभी तक बाकी है !
तुम तार हिला कर चले गये ; झन्कार अभी तक बाकी है !!

आँखों ने जो देखा था ,दर्द - - समन्दर आँखों में !
कब टूटेंगे बांध तुम्हारे  ; इन्तज़ार अभी तक बाकी है !!

इक रिश्ता है दरमियाँ अपने ;इक बन्धन है साँसों का !
इक दर्पण है अब तू मेरा  ; इक़रार  अभी तक बाकी है !!

मन के पागल पंछी को ; कैसे समझाऊँ मीत मेरे  !
तुम सर झुका के चले गये ; इन्कार अभी तक बाकी है !!

मानी हर गुज़ारिश तेरी  , अपनी जाँ पर खेल कर  !
" तन्हा " तुम आना कभी ;इसरार अभी तक बाकी है !!

-          " तन्हा " चारू !!

सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज कुमार खरे  " तन्हा " चारू !!



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