लबोँ पे उसके
वो नाम
तो आये
!
हम तक कुछ
इल्ज़ाम तो
आये !!
भीड़ में हो
ये " तन्हा " मन !
ऐसी कोई अब
शाम तो
आये !!
पी लूँगा उसके
रंज ओ
ग़म
!
अश्क़ों का वो
ज़ाम तो
आये !!
मिटा दे हस्ती
जहाँ से
अपनी !
"तन्हा" को वो
इल्हाम तो
आये !!
- " तन्हा " चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
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