Sunday 10 November 2013



मेरे दिल में झाँक के देखो ;
इसमें कोई आज़ भी है !
"तन्हा "की ख़ामोशी में दर्ज़ ;
कोई बयान आज भी है !!
मेरे दिल में झाँक के देखो…..

कुछ यादें हैं धुँधली सी ;
भर चुके हैं जख्म भी  !
जमी हुई इस गर्द के नीचे ;
कोई निशान आज भी है !!
मेरे दिल में झाँक के देखो.…..

उतरी सूरत बिखरे बाल ;
सूनी आँखे डगमग चाल !
पर उसके होंठो से लिपटा ;
मेरा नाम आज भी है  !!
मेरे दिल में झाँक के देखो…..

दरमियाँ अपने स्नेह का बंधन ;
जैसे पानी और हों चन्दन !
इन सारे बंधन से ऊपर ;
मेरा प्यार आज भी है  !!
मेरे दिल में झाँक के देखो…..

हो गये थे क्यूँ मजबूर ;
क्यों थे हम उनसे दूर !
कुछ अनजाने कुछ अनसुलझे ;
कई सवाल आज भी हैं !!
मेरे दिल में झाँक के देखो…..

प्यार का प्यासा गम का सागर ;
छलका आँखों का गागर !
भरी महफ़िल में सबसे "तन्हा ";
मेरा प्यार आज भी है  !!

मेरे दिल में झाँक के देखो….

                        -"तन्हा "चारू  !!


सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज कुमार खरे  " तन्हा " चारू !!

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