मेरे रु- ब
-रु न
उन्हें बुरा
कहिये !
कहिये बुरा मुझे
जो बुरा
कहिये !!
अहबाब उनके हुस्न
को कमतर
कहें !
हैं नज़रें कमज़र्फ़
उन्हें बुरा
कहिये !!
लिये फ़िरते हैं
रकीबों को
जो चार
सूँ !
बहलाते हैं दिल
तन्हाई में
न बुरा
कहिये !
कहते हैं इश्क
में बे-वफ़ाई है
यह
!
की जो खता
मैंने उसे
बुरा कहिये
!!
दस्तूर है ये
अच्छों को
बुरा कहना
!
"तन्हा" हम बुरों
को भी
बुरा कहिये
!!
-" तन्हा " चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
Bahut acha likha h......kuch acha padhne ko mila h
ReplyDeleteधन्यवाद भाईसाहब !! सस्नेह आभार !!!
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