हम दिवानो का
क्या बयाँ
क्या अफसाना
है !
जीने की आरज़ू
अब ना
मौत का
ठिकाना है
!!
हम भी जायेंगे
जाँ से
इक रोज़
जाते -जाते
!
अभी तो जीने
का कुछ
हसीन
बहाना है !!
हमनफ़स ,न हम सफ़र न
हम नवाँ
कोई !
क्या बताये तुम्हे
ये अपना
कोन बेग़ाना
है !!
कर लो तुम
भी दिल्लगी
इस दिल
के साथ
!
"तन्हा" का दिल
ज़ालिम कुछ
और बहलाना
है !!
-
" तन्हा
" चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
No comments:
Post a Comment