राज़-ए-दिल
करे ये
नुमायाँ कोई
!
तेरे शहर में
रहे न
पराया कोई
!!
सितम आज़माने की
कोशिश में
!
मुझे "तन्हा" करे
न बुलाया
कोई !!
रब से करता
हूँ मैं
दुआ इतनी !
अब उसको करे
न सताया
कोई !!
सादगी पे मर
मिटे हम
उसकी !
राज़ उससे जाये
न छुपाया
कोई !!
बुलाने पे कतराता
हूँ ये
सोच कर !
अब मिल जाये
न हमसाया
कोई !!
डरता हूँ गुजरते
कूँ -ए
-यार से
!
कहीं तेग़ जाये
न आज़माया
कोई !!
नज़र रखता हूँ
उस दरबार
पे
!
जहाँ सर जाये
न उठाया
कोई !!
ख़ुदा ख़ैर ! हूँ
रु -ब
-रु ऐ
ख़ुदा याँ
!
अब चिल्मन जाये
न गिराया
कोई !!
बिखेरता हूँ किर्चे
मैं दिल
की अपने
!
तेरी बज़्म से
जाये न
ख़ुदाया कोई
!!
लौट आया जहान-ऐ -यार
से मग़र !
बज़्म -ऐ- दीद
में करे
न जाया
कोई !!
अश्क़ों से भिगो
देता हूँ
ज़मीं ये
सोच !
ख़ाक -ऐ- आरज़ू
जाये न
उड़ाया कोई
!!
क्या जाऊँ " तन्हा
" तेरी मज़ार पे !
रूठा मुझसे जाये
न मनाया
कोई
!!
-
" तन्हा
" चारू !!
-
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
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