Thursday 21 November 2013

भर आती है आँख क्यूँ मुस्कराने के बाद !






भर आती है आँख क्यूँ मुस्कराने के बाद  !
क्या तुमने किया है याद मुझे जाने के बाद !!

पहरों सुनाता रहा उसे मैं दास्ताँ अपनी  !
हँस के चल दिये वो जी भर सताने के बाद !!

कर रहा हूँ मै कोशिश यकीन दिलाने की !
कि उठ कर गए हो तुम यहाँ आने के बाद !!

हाय !मेरे हाथों के नाख़ून क्यूँ और बढ़े !
कुरेदता जख्म मैं भी हरे हो जाने के बाद  !!

कहने लगे वो मुझसे एक रोज़ " तन्हा "!
फिर मिलेंगे हम कभी मर जाने के बाद  !!

रख लो अपने पास तुम आइना--दिल मेरा !
लगा लेना दीवार पे कहीं दिल लगाने के बाद !!

सुनते है कि आएगी रंगीनियाँ घर हमारे  !
देखता हूँ सूनी दीवारे रोज़ घर आने के बाद !!

आयेंगे ज़रूर हम फिर तेरी महफ़िल में  !
गर आने दिया ख़ुदा ने यहाँ से जाने  के बाद !!

इन्सान की बस्ती है ठोकर तो मिलेगी ही !
सहेज़ लेना ये भी फ़रेब झूठ खाने के बाद !!

लिल्लाह मेरे हाथों में इक लक़ीर और होती !
तो होता मैं ख़ुदा इंसान बन पाने के बाद  !!

मैं भी आऊ इबादत में है ख्वाहिश " तन्हा  "!
गर हो मस्ज़िद कहीं  मयख़ाने  के बाद  !!


                                              
                                                     -" तन्हा " चारू !!


सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज कुमार खरे  " तन्हा " चारू !! 

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