मिट्टी के लोग
हैं मिट्टी
में मिल
जायेंगे !
कुछ न लेकर
आये थे
कुछ न
लेकर जायेंगे
!!
उड़ लें फ़िज़ा
में आज
कितने भी
ऊँचे !
मिलेंगे ख़ाक में
तो ख़ाक
ही कहलायेंगे
!!
सहेज के रखना
तन हो
कितना उजला
रंग !
बनेंगे जब राख़
तो राख़
ही कहलायेंगे !!
क्या बनाएंगे दुनियाँ
वाले स्नेह
के बंधन
!
छोड़ेंगे ये जहाँ
जब " तन्हा " ही जायेंगे !!
-" तन्हा "चारू
!!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
डिजाइन ... सेटिंग्स ... कमेंट्स ...में जाकर " शब्द सत्यापन " ऑफ कर लें ...
ReplyDeleteकमेंट्स में दिक्कत आती है !!
अचल सत्य !!
धन्यवाद अनुज जी ! आपका आभार !!
ReplyDelete