मैंने ;
तुमसे कहा था ,कभी .
मैं ,
एक गीत लिखूँगा ,
कैसे ; कब ???
जब ;
तुम सोलह सिंगार किये ,
दमक रही होगी !
हाँथो में मेहँदी ,
पैरों में पायल ,
छनक रही होगी !!
ऐसे में ;
अतीत की कलम उठा कर !
तेरे लबों से लब् मिला कर !!
मैं ;
तुम्हारी झील सी आँखों में ,
डूब जाऊँगा !
भाव स्वयं ही आ जायेंगे ,
जब लाज का घूँघट , उठाऊँगा !
और फिर ;
तुम कुछ ,लजाती सी ;
स्वयं में ,सिमट जाओगी !
कुछ पुलकित सी होती ;
मेरे अंग-अंग में ,बस जाओगी !
तब ;
तुम स्वयं ही ,
एक गीत बन जाओगी !!
मैंने ;
तुमसे कहा था , कभी ....... !!!
- " तन्हा " चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज कुमार खरे " तन्हा " चारू !!
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