कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
ये सोच रहा था अर्जुन !!
कैसी है ये जग की रीत !
जो थे अपने मन के मीत !!
इन सब पर पाकर जीत !
छीनूँगा कितने अधर गीत !!
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन ! ये देख रहा था अर्जुन !!
होगी जब बाणो की मार !
अपने होंगे सब तार -तार !!
हर आँख से बहेगी अश्रुधार !
और टूटेगा सिर्फ अहंकार !!
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
ये सुन रहा था अर्जुन !!
न देख मांगों का सिन्दूर !
नश्वर सँसार है क्षणभंगुर !!
कर दे सब मोह को दूर !
तब निकलेगा नव -अँकुर !!
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
ये समझ रहा था अर्जुन !!
कैसे हो मोह से विरक्त !
कैसे छूटे रक्त से रक्त !!
सब है काया पे आसक्त !
और माया के अनन्य भक्त !!
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
ये मान रहा था अर्जुन !!
उसे है अब मुक्ति पाना !
"तन्हा " है आना -जाना !!
ये सत्य सबने माना !
न अपना कोई न बेगाना !!
कुरुक्षेत्र में खड़ा था अर्जुन !
कुरुक्षेत्र में खड़ा है अर्जुन !!
- "तन्हा" चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज कुमार खरे " तन्हा " चारू !!
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